पूष॒न्ननु॒ प्र गा इ॑हि॒ यज॑मानस्य सुन्व॒तः। अ॒स्माकं॑ स्तुव॒तामु॒त ॥६॥
pūṣann anu pra gā ihi yajamānasya sunvataḥ | asmākaṁ stuvatām uta ||
पूष॑न्। अनु॑। प्र। गाः। इ॒हि॒। यज॑मानस्य। सु॒न्व॒तः। अ॒स्माक॑म्। स्तु॒व॒ताम्। उ॒त ॥६॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
किन के सङ्ग से विद्या और राज्य को प्राप्त होवे, इस विषय को कहते हैं ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
केषां सङ्गेन विद्याराज्ये प्राप्नुयादित्याह ॥
हे पूषंस्त्वँ सुन्वतो यजमानस्योत स्तुवतामस्माकं गा अनु प्रेहि ॥६॥